भारत में त्योहारों के बारे में कहा जाता है की यहां “7 वार 9 त्यौहार” मनाये जाते है. हर त्यौहार के पीछे कोई ना कोई कहानी या कथा जरुर जुड़ी होती है बिना किसी पौराणिक कथा के कोई त्यौहार नहीं मनाया जाता है जिस तरह होली होलिका दहन पर, राखी इंद्र की जीत पर मनाई जाती है, उसी तरह दीपों का त्यौहार दिवाली भी किसी पौराणिक कथा के आधार पर मनाई जाती है.
Diwali मनाने के पीछे कई सारे पौराणिक कथाएं जुड़ी हुयी है सब लोगों का अलग-अलग मानना है सबसे प्रचलित है राम के वापिस अयोध्या लौटने पर दीपावली मनाई जाती है लेकिन इसके अलावा भी दिवाली से जुड़ी कुछ पौराणिक कथाएं है जिनके बारे में आपको जानना चाहिए तो आईये जानते है दिवाली से जुड़ी कुछ 6 पौराणिक कथाओं के बारे में.
दीवाली से जुड़ी पौराणिक कथाएं और कहानिया
Diwali Kahani-Katha Stories in Hindi
तो चलिए Diwali से जुड़े इन कुछ प्रसिद्द कहानियो और कथाओ के बारे में जानते है
1:- Diwali Story & History In Hindi
पहली कथा : भगवान राम का अयोध्या लौटना
भगवान राम जब माता कैकेयी द्वारा दिए गये 14 वर्ष के वनवास को पूरा करके और रावण का वध करके वापिस अयोध्या लौटे थे तब उनके आने की ख़ुशी में लोगों ने घरों में दीपमालाएं सजाई थी और इसी ख़ुशी में दिवाली मनाई जाती है
2:- Diwali Story & History In Hindi
दूसरी कथा : लकडहारे की नासमझी
एक बार एक राजा ने एक लकडहारे से खुश होकर उसे चन्दन की लकड़ी का जंगल भेंट किया लेकिन लकडहारा तो लकडहारा ही था उसने चन्दन के जंगल में से चन्दन की लकड़ियाँ काटी और उसे घर ले जाकर जलाकर, भोजन बनाने के लिए प्रयोग करता था
जब राजा को यह बात अपने गुप्तचरों से पता चली तो उन्हें समझ आया की पैसा सिर्फ मेहनत से नहीं बुद्धि से भी हासिल किया जाता है इसलिए दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश जी की भी पूजा की जाती है. ताकि व्यक्ति को धन के साथ-साथ उसे प्रयोग करने की योग्यता भी मिले
3:- Diwali Story in Hindi
तीसरी कथा : लक्ष्मी जी और साहूकार की कथा
एक साहूकार था जिसकी बेटी हमेशा पीपल के पेड़ पर पानी चढ़ाने जाती थी. जिस पेड़ पर पर वह पानी चढ़ाती थी उस पर माँ लक्ष्मी का निवास था एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से कहा की में तुम्हारी मित्र बनना चाहती हु इस पर साहूकार की बेटी ने कहा में अपने पिता से पूछकर बताउंगी
लड़की ने अपने पिता को सारी बात बताई तब साहूकार ने हाँ कह दिया इस तरह माँ लक्ष्मी और साहूकार की बेटी की दोस्ती हो गई एक दिन माँ लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी को अपने घर पर बुलाया और उसका खूब स्वागत किया उसे अच्छे से अच्छे व्यंजन परोसे. मेहमाननवाजी के बाद जब साहूकार की बेटी जाने लगी तो लक्ष्मी माँ ने कहा की मुझे अपने घर कब बुलओगी
साहूकार की बेटी ने माँ लक्ष्मी को अपने घर तो बुला लिया लेकिन उसे डर था की उसके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, वो कैसे माँ लक्ष्मी की मेहमाननवाजी करेगी. जब यह बात साहूकार को पता चली तो उसने अपनी बेटी से कहा तुम फ़ौरन मिट्टी से चोका लगाकर साफ़-सफाई कर दे चार बत्ती के मुख वाला दिया जला और लक्ष्मी जी का नाम लेकर बैठ जा.
उसी समय एक चील किसी रानी का नौलखा हार लेकर उसके पास दाल के चली गई साहूकार की बेटी ने उसे बेचकर माँ लक्ष्मी के लिए अच्छा भोजन बनाया माँ लक्ष्मी भगवान गणेश जी के साथ साहूकार के घर पधारी. साहूकार और उसकी बेटी ने उसका खूब स्वागत किया. इस खातिरदरी से प्रसन्न होकर माँ लक्ष्मी ने उन्हें आशीर्वाद दिया और साहूकार बहुत अमीर बन गया
Diwali Story History In Hindi | Deepavali Hindi Story | Deepawali Hindi Kahani
4:- Diwali Stories in Hindi
चौथी कथा : राजा इंद्र और बलि की कथा
एक बार देवताओं के राजा इंद्र से डरकर राक्षस राजा वाली कहीं जाकर छुप गए राजा इंद्र उन्हें खोजते-खोजते एक खाली घर में पहुंचे, वहां राजा बलि गधे के रूप में छुपे हुए थे दोनों की आपस में बातचीत होने लगी. बातचीत चल रही थी की इतने में राजा बलि के शरीर से एक स्त्री बाहर निकली
जब देवताओं के राजा इंद्र ने उनसे पूछा तो स्त्री ने कहा “में देवी लक्ष्मी हु, स्वभाववश एक स्थान पर टिककर नहीं रह सकती”. लेकिन में उस स्थान पर स्थिर होकर रहती ही जहां सत्य, दान, व्रत, धर्म, पुण्य, पराक्रम, तप आदि रहते है
जो व्यक्ति सत्यवादी होता है ब्राह्मणों का हितेषी होता है, धर्म की मर्यादा का पालन करता है उसी के यहां में निवास करती हु इस तरह यह बात स्पष्ट है की माँ लक्ष्मी केवल वहीँस्थायी रूप से निवास करती है जहां अच्छे गुणी व्यक्ति निवास करते है
5:- Diwali Story in Hindi
पांचवी कथा : भगवान कृष्ण और नरकासुर की
कृष्ण भक्तों के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था और इसी ख़ुशी में भक्तों ने घरों में दीपक जलाये थे इसलिए दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है.
दीवाली से जुडी कुछ प्रसिद्द कथाये और कहानिया | Kahaani दीपावली
6:- Diwali Story & History In Hindi
छठी कथा : समुन्द्रमंथन की
जब भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप धारण कर हिरण्यकश्यप का वध किया था और उसी दिन समुन्द्र मंथन भी हुआ था इस समुन्द्रमंथन से माँ लक्ष्मी और धन्वन्तरी प्रकट हुए थे और इसी वजह से भी दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है
Diwali मनाने के कारण भले ही कुछ भी हो लेकिन इतना निश्चित है की हर कथा के पीछे दीपों का महत्व है. दिवाली का त्यौहार अँधेरे से उजाले, अधर्म से धर्म, पाप से पुण्य का त्यौहार है. दिवाली का त्यौहार सब लोग मिलकर ख़ुशी के साथ मनाते है
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bhut hi kamal ki jankari hai Thanks
बहुत बढ़िया जानकारी है सर जी
आपने बहुत ही अच्छा लेख लिखा है सच में पढ़ कर मज़ा आगया आपको बहुत बहुत धन्यवाद सर जी
This artical is very good.